डीप स्टेट वोकिज्म सांस्कृतिक मार्क्सवाद सनातन धर्म और भारत के सबसे बड़े शत्रु क्यो है?

सनातन धर्म और भारतवर्ष के तीन सबसे बड़े शत्रु 

1. डीप स्टेट

2. वोकिज्म

3. सांस्कृतिक मार्क्सवाद

माननीय सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने विजयादशमी के अपने भाषण में भारतवर्ष और हिंदू सनातन धर्म के बड़े शत्रुओं की चर्चा की थी आइए जानते हैं इन तीन शत्रुओं के बारे में 

1. डीप स्टेट

कुछ साल पहले तक इसे एक षड्यंत्र सिद्धांत माना जाता था, लेकिन अब कई लोग डीप स्टेट के बारे में खुलकर बात करने लगे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प और पुतिन जैसे वैश्विक नेताओं ने इस बारे में कई बार बात की है।

पहले हम मानते थे कि दुनिया में लगभग 200 देश हैं और ये संप्रभु देश हैं, जिनके राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपने लोगों के हित में निर्णय लेते हैं। लेकिन नए सबूतों से पता चलता है कि कई देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री वास्तव में 'किसी और' के लिए काम कर रहे हैं।

वह 'कोई और' डीप स्टेट है।

डीप स्टेट मूलतः कुछ बहुत ही अमीर और ताकतवर लोगों का समूह है जो पर्दे के पीछे से दुनिया को चलाता है। इस समूह में बैंकर, राजनेता, कॉरपोरेट्स (फार्मा, हथियार, बड़ी टेक, तेल आदि), मीडिया प्रमुख, शाही राजा, धार्मिक प्रमुख, ब्यूरोक्रेट्स, सीआईए डायरेक्टर्स आदि शामिल हैं।

ये बहुत अमीर और बहुत ताकतवर हैं। ये संपूर्ण मीडिया को नियंत्रित करते हैं। ये सभी देशों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तय करते हैं। ये यूएन, डब्ल्यूएचओ, आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक आदि को नियंत्रित करते हैं।

डीप स्टेट का अंतिम लक्ष्य पूरी दुनिया पर नियंत्रण स्थापित करना है और पूरे ग्लोब का शासक बनना है।

माना जाता है कि वे पहले से ही 150-160 देशों को नियंत्रित कर रहे हैं, लेकिन कई ऐसे देश हैं जो अभी भी उनके नियंत्रण में नहीं हैं, और उनमें से एक भारत है।

2. वोकिज्म

वोकिज्म और मार्क्सवाद एक ही चीजें हैं। जबकि मार्क्सवाद एक राजनीतिक शब्द है, वोकिज्म एक स्लैंग है और इसे आम लोगों तक पहुँचाने के लिए बनाया गया है।

मार्क्सवाद डीप स्टेट का हथियार है जिससे वे पूरी दुनिया को नियंत्रित करते हैं।

मार्क्स ने समाज को कई भागों में बांटने की नीति बनाई, जैसे कि धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर। फिर शोषक और शोषित वर्ग की अवधारणा को लागू किया। इसके माध्यम से समाज में एक वर्ग संघर्ष की स्थिति बनाई जाती है।

3. सांस्कृतिक मार्क्सवाद

मार्क्सवादियों का मानना है कि जो लोग धर्म, शिक्षा, मीडिया और संस्कृति को नियंत्रित करते हैं, वे समाज को नियंत्रित करते हैं।

इसलिए वे जहां भी जाते हैं, इन संस्थानों को अपने हाथों में लेते हैं।

शिक्षा और मीडिया पर नियंत्रण करके वे बच्चों को शोषक और शोषित की अवधारणा सिखाते हैं। ये युवा बाद में प्रोफेशनल, वकील, डॉक्टर, प्रोफेसर, जज, पुलिसकर्मी, पत्रकार, नेता आदि बनते हैं और मार्क्सवादी विचारों पर काम करते हैं।

मार्क्सवाद का अंतिम लक्ष्य मजबूत वर्ग को कमजोर करना और कमजोर वर्ग को मजबूत करना है ताकि उन्हें संघर्ष के लिए तैयार किया जा सके।

इस प्रकार, माननीय डॉ मोहन भागवत ने इन तीनों को सनातन धर्म और भारतवर्ष के सबसे बड़े शत्रु के रूप में घोषित किया है।

✍️दीपक कुमार द्विवेदी

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