डॉलर के मुकाबले में रुपये का मूल्य क्यों गिर रहा हैं ?

सन् 1947 अमरीकी डालर और रुपया लगभग बराबर था ! 

सन् 1980 मे एक डालर का मूल्य 7 रुपये 86 पैसे ( 7.86 ) था !

सन्‌ 1990 मे एक डालर का मूल्य 17 रुपये 1 पैसे ( 17.01 ) हो गया !

सन् 2000 मे एक डालर का मूल्य लगभग 43 रुपये 50 पैसे हो गया !

सन् 2024 में एक डाक्टर का मूल्य लगभग 80 रुपये हो गया ! 

अब यहाँ पर प्रश्न हैं कि ..रुपये के मुकाबले में डालर का मूल्य बढ़ा है ..? 
अथवा

 डालर के मुकाबले में रुपये का मूल्य गिरा हैं ?? 

सरसरी तौर पर दोनों प्रश्न समान दिखते हैं... परंतु परिणाम ब प्रभाव की दृष्टि से ..दोनों प्रश्न समान नहीं है। 
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क्या.. 1947 में देश में औद्योगिक उत्पादन सन् 2024 की तुलना में अधिक होता था ??

 क्या 1947 मे कृषि उत्पादन सन् 2024 की तुलना में अधिक था ?? 

क्या 1947 मे भारत की प्रति व्यक्ति आय ..सन् 2024 की तुलना में अधिक थॊ ??

 क्या GDP अधिक था ?? 

जाहिर हैं..1947 मे सन् 2024 की तुलना में न तो कृषि उत्पादन ..न ही औद्योगिक उत्पादन अधिक था ! GDP भी बहुत कम थी। 
वास्तव में 1947 में भारत उतना विकसित नहीं था ..जितना की सन् 2024 मे ! 

तो फिर 1947 मे रुपया डालर के बराबर कैसे था ?! ..भारत के आर्थिक विकास के साथ साथ ...डालर का मूल्य कैसे बढ़ गया ??
( अथवा रुपये का मूल्य कैसे गिर गया ??) 

देश के आर्थिक विकास के साथ साथ... रुपये का मूल्य तो और भी मजबूत होना चाहिए ?? परंतु कम कैसे हो गया ? 
( ऐसा तो नहीं हो सकता न ) 

अब इस रहस्य को‌ समझते हैं ।

अमेरिका दुनिया की दो वस्तुओ पर नियंत्रण करता हैं । पहला तेल और दूसरा सोना ! 
अमरीका दुनिया में एक ऐसी व्यवस्था बना दिया हैं कि...दूसरे देश ..तेल अमेरिका के डालर में ही खरीदेंगे व बेचेंगे ! 

इसी प्रकार सोना भी ..डालर देके लिया जा सकता हैं ! 

आपको तेल आयात करना है...सोना आयात करना है,..तो पहले डालर का इंतजाम करिये ! 

वास्तव में अमेरिकी ‌ने दुनिया में एक ऐसी व्यवस्था बना दिया कि..उसका डालर स्वयं में एक क्रय विक्रय की वस्तु बन गया ! 

जैसे जैसे ..देश की समपन्नता वढ़ती जाती हैं.... वैसे वैसे..डालर की मांग ( Demand ) बढ़ती गयी ! 

1947 मे देश में पैट्रोल डीजल की कितनी मांग थी ?? अपने गाँव का उदाहरण ले कि..1947 में देश में बहुत से गाँव ऐसे थे...वहाँ कदाचित् ही पैट्रोल की आवश्यकता पड़ी हो ?? बहुत से गाँव में‌ न तो स्कूटर थे ..न ही कारे ! तो पेट्रोल की क्या जरुरत ?! 1980 तक भारतीय ट्रेने भी देश में उत्पादित कोयले से चलते थे ! 
तो अब तेल की मांग कितनी बढ़ गयी ?? जब तेल की मांग ..बढ़ी तो उसे खरीदने के लिए डालर की मांग बढ़ गयी ।‌

ये मांग बढ़ने से ..डालर का मूल्य मंहगा हुआ है। आपके पास रुपया हैं.. डालर खरीदने का ..तो आप 80 रुपये देकर एक डालर खरीद पाते हैं ! 

विश्वास करे कि...यदि तेल निर्यातक देश... डालर की बजाया ..रुपया स्वीकार करने लगे...तो हम‌ क्यु अमेरिकी डॉलर खरीदने जायेंगे ?

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