भारतीय रुपये को गोल्ड स्टैंडर्ड में लाने से निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं:
*सकारात्मक परिणाम:*
1. मुद्रास्फीति नियंत्रण: गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा में मुद्रास्फीति कम होती है क्योंकि मुद्रा की मात्रा सोने की आपूर्ति से जुड़ी होती है।
2. आर्थिक स्थिरता: गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है क्योंकि यह मुद्रा की मूल्य में उतार-चढ़ाव को कम करती है।
3. विदेशी व्यापार में सुविधा: गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा विदेशी व्यापार को सुगम बनाती है क्योंकि यह मुद्रा की विनिमय दर में स्थिरता प्रदान करती है।
4. सरकारी खर्च नियंत्रण: गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा सरकारी खर्च को नियंत्रित करती है क्योंकि सरकार को मुद्रा छापकर अपना खर्च नहीं बढ़ा सकती
5. गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा आर्थिक विनाश को धीमा कर सकती है क्योंकि यह मुद्रा की मात्रा में वृद्धि को सीमित करती है। जिससे उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था मॉडल
पर लगाम लगेगी । जिससे प्रकृति की रक्षा होगी
6. गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा आयात-निर्यात में आ रही समस्याएं समाप्त हो सकती हैं क्योंकि इससे रुपया अंतराष्ट्रीय मुद्रा बन सकती है क्योंकि यह मुद्रा की विनिमय दर में स्थिरता प्रदान करती है।
*चुनौतियाँ:*
1. सोने की आपूर्ति: भारत को अपनी मुद्रा के लिए पर्याप्त सोना खरीदना होगा। इसके लिए डॉलर को बेचकर सोना खरीदना पड़ेगा ।
2. मुद्रा बाजार में परिवर्तन: गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा लागू करने के लिए मुद्रा बाजार और बैंकिंग में बड़े परिवर्तन करने होंगे।
3. आर्थिक व्यवस्था में बदलाव: गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा लागू करने के लिए आर्थिक व्यवस्था में बड़े बदलाव करने होंगे।
इसलिए, भारतीय रुपये को गोल्ड स्टैंडर्ड में लाने से पहले इन सभी परिणामों और चुनौतियों का ध्यान रखना आवश्यक है।
रुपए को गोल्ड स्टैंडर्ड पर वापिस लाने के लिए दो मुद्रा का concept भी लाया जा सकता है । अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड पर स्वर्ण मुद्रा लाई जा सकती है और घरेलू प्रयोग के लिए वर्तमान स्थिति बहाल रखी जा सकती है। जिससे एक दम झटके से बचा जा सकेगा । पहले पहले केवल govt to govt ही स्वर्ण मुद्रा खाते रखने के अधिकारी हो जिससे अंतराष्ट्रीय trade हो ।फिर स्वर्ण मुद्रा आयात निर्यात के लिए आम व्यापारी के लिए खोल दी जानी चाहिए। सबसे अंत में आम जनता भी स्वर्ण मुद्रा का खाता खोल सकें ।
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