राष्ट्रवादी कौन?



पनघट पर कुछ पनहारिने पानी भर कर आ रही थीं। आपस मे बातचीत भी होती जा रही थी। एक ने कहा, मेरा बेटा बहुत बड़ा विद्वान है, दूसरे ने कहा कि उसका बेटा इंजीनियर हो गया है, तीसरी कहाँ पीछे रहती उसने कहा कि उसका बेटा राजा के यहाँ काम करता है। चौथी महिला चुप थी। 

रास्ते में पहली महिला का पुत्र विद्वानों से बहस करते हुए जा रहा था। माँ को देखा तो जोर से प्रणाम किया। महिला ने गर्व से तीनों की तरफ देखा। दूसरी महिला का पुत्र भी रास्ते में गाड़ी से जा रहा था, माँ देखकर रुका पैर छुए, दूसरी ने गर्व से तीनों को देखा। तीसरी का पुत्र राज कर्मचारियों के साथ उसी रास्ते से आ रहा था, शोर के बीच मे उसने भी माँ से अभिवादन किया, तीसरी ने गर्व से तीनों को देखा। 

चौथी महिला का पुत्र तेजी से उसकी तरफ अकेला आता दिखाई दिया, तीनों महिलाएं मुस्कुरा उठीं और पूछती हैं, 'बहन तुम्हारा लड़का कुछ नही करता क्या?' " वह खेती करता है और हमारे साथ रहता है," चौथी ने जवाब दिया।

चौथी महिला का पुत्र अपनी माँ के पास आया और उसका घड़ा अपने सिर पर रख कर चल दिया।

यह कथा कहीं पढ़ी थी, फेसबुक पर एक से बढ़कर एक ज्ञानी हैं जो आपको यह बता दें कि आपकी कोशिका में पर्णहरिम भी होता है भले ही वह खुद बेरी बेरी रोग के शिकार हों पर आपमें हीन भावना भरने की हांड तोड़ कोशिश करेंगे कि आप हरित लवक का प्रयोग न करके हिंदू धर्म के गूढ़ रहस्य को न जानने का अपराध कर रहे हैं। ऐसे ज्ञानचंदों के आस पास देखिए, कुंठा भर रखी होगी। इनके मित्र, रिश्तेदार, स्वजन समाज हर जगह इनकी मूर्खताओं के चर्चे होंगे। पड़ोसी नही जानता होगा पर यहाँ पर पॉपकॉर्न बन उछल रहे होंगे। 

मेरा किसी की बात मानने का एक ही तरीका है, उसकी सेवा और प्राणिमात्र के प्रति करुणा। जो किसी के भार को कम कर दे वही ज्ञानी, जो किसी को सरल बना दे वही सेवाभावी, जो किसी का जीवन आसान बना दे वही धार्मिक।

अपने समाज और राष्ट्र रूपी माँ के सिर पर रखे घड़े को जो अपने सिर पर ले ले वही राष्ट्रवादी। 

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